जालोर ।गाय हमारी माता है। यदि गाय पर कोई संकट आया तो हम मर मिटेंगे। गाय की सेवा करने में ही हमारा समय व्यतीत हो जाता है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से हमारी मांगों पर सकारात्मक कदम नहीं उठाने पर आंदोलन का मार्ग अख्तियार करना पड़ा। ये विचार कामघेनु कल्याण परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक और मुख्य वक्ता ज्ञानानंद महाराज ने रावण चबूतरे पर गुरूवार दोपहर को आयोजित सभा के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार कई योजनाओं पर पानी की तरह पैसा बहा रही है, लेकिन गाय के बारे में सोचने का किसी के पास समय नहीं है। हर रोज गोवंश को कत्लखानों में भेजा रहा है, लेकिन उन्हें रोकने वाला व सख्त कार्रवाई करने वाला कोई नहीं है। ऎसे में गोभक्त आंदोलन करना होगा। इस बार इन्द्र के रूठने से अकाल की स्थिति उत्पन्न हो रही है। ऎसे में गाय के लिए अनुदान देना चाहिए। सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। गली-मोहल्लों में गायों की स्थिति दयनीय हो रही है। हालांकि गोभक्तों की कमी नहीं है और गायों के लिए वे समय तैयार रहते हैं, लेकिन पथमेड़ा समेत कई गोशालाओं में लाखों गायों का पालन होता है। ऎसी स्थिति में सरकार का रवैया सहयोगात्मक होना चाहिए, जबकि सत्ता पर आसीन लोगों के पास गोभक्तों की बात सुनने का समय तक नहीं है। इस दौरान पथमेड़ा से संत समुदाय, विश्व हिन्दू परिष्ाद के प्रवीणसिंह नाथावत, रघुनाथसिंह देवड़ा, कल्याणसिंह धानपुर, रतनसिंह भागली, बन्नेसिंह मीठड़ी, छोगसिंह राजपुरोहित सांकरणा, कृष्णपालसिंह सामुजा, आवड़दान और आनंदसिंह समेत कई लोगों ने गोभक्तों से सम्पर्क किया।
Godham Pathmeda
Friday, September 12, 2008
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